दमण में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती एवं चौथे जनजातीय गौरव दिवस का भव्य आयोजन

दमण, 15 नवंबर।
संघ प्रदेश दादरा एवं नगर हवेली तथा दमण-दीव के प्रशासक प्रफुल पटेल के कुशल मार्गदर्शन में भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती और चौथे जनजातीय गौरव दिवस का भव्य आयोजन दमण जिले के बिरसा मुंडा चौक, झरी में किया गया। इस ऐतिहासिक आयोजन का वर्चुअल शुभारंभ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।

भगवान बिरसा मुंडा को श्रद्धांजलि

दमण-दीव सांसद उमेश पटेल, दमण नगरपालिका प्रमुख अस्पी दमणिया, दमण जिला पंचायत उप प्रमुख बाबू पटेल और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने दीप प्रज्ज्वलन और भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर कार्यक्रम की शुरुआत की। इस अवसर पर जनजातीय समुदाय के महानायक भगवान बिरसा मुंडा के योगदान को श्रद्धापूर्वक याद किया गया।

प्रधानमंत्री का संबोधन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने वर्चुअल संबोधन में भगवान बिरसा मुंडा के संघर्ष, उनके नेतृत्व और स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने जनजातीय समुदाय के उत्थान और उनके गौरवशाली इतिहास को संरक्षित करने की प्रतिबद्धता दोहराई।

सांस्कृतिक कार्यक्रम एवं जनजातीय उत्सव

कार्यक्रम के दौरान आदिवासी संस्कृति, कला, और परंपराओं को प्रदर्शित करने के लिए सांस्कृतिक नृत्य, गायन, और स्थानीय प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। जनजातीय समुदाय की महान धरोहर को प्रस्तुत करने वाले इन कार्यक्रमों में लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।

विशेष गतिविधियां

आयोजन के अंतर्गत प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए ‘धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान’ के तहत दमण के विभिन्न ग्राम पंचायतों में विशेष ग्राम सभाओं का आयोजन किया गया।
इनमें शामिल थे:

  • कडैया, भीमपोर, वरकुंड, सोमनाथ, मगरवाड़ा, दमणवाड़ा, और परियारी।
    इसके अलावा, प्रमुख स्थानों पर निःशुल्क स्वास्थ्य परीक्षण शिविर आयोजित किए गए।

विद्यालय स्तरीय प्रतियोगिताएं

छात्रों के बीच जनजातीय गौरव दिवस को लेकर जागरूकता बढ़ाने के लिए खेलकूद, निबंध लेखन, वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी, चित्रकारी प्रतियोगिताएं, और जागरूकता रैलियां आयोजित की गईं।

जनजातीय गौरव पखवाड़ा

15 नवंबर से 26 नवंबर तक भारत सरकार द्वारा जनजातीय गौरव पखवाड़ा मनाया जाएगा। इसके तहत ट्राइबल वॉल आर्ट, निबंध लेखन, नुक्कड़ नाटक, जनजातीय म्यूजियम का दौरा, और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

यह भव्य आयोजन न केवल भगवान बिरसा मुंडा के जीवन और उनके विचारों को समर्पित था, बल्कि जनजातीय समुदाय की सांस्कृतिक पहचान को संरक्षित करने और उनके उत्थान के उद्देश्य से प्रेरित था।

(समाचार: डेयर टू शेयर)

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