दमण और दीव में गरीबों के मकानों को गिराने की घटनाओं ने एक बार फिर से क्षेत्र की जनता को झकझोर कर रख दिया है। “गरीबों को घर देने की बजाय उन्हें बेघर क्यों किया जा रहा है?” यह सवाल आज दमण-दीव के माननीय सांसद श्री उमेशभाई पटेल ने लोकसभा में जोरदार तरीके से उठाया।
सांसद पटेल ने अपने भाषण में कहा, “यह कितना विडंबनापूर्ण है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जो मकान गरीबों को दिए गए थे, उन्हें भी स्थानीय प्रशासन ने तोड़ दिया। प्रशासन ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर न केवल गरीबों के आशियाने उजाड़े बल्कि उन्हें सड़कों पर लाकर खड़ा कर दिया।”
प्रधानमंत्री आवास योजना में धांधली का आरोप
श्री पटेल ने सदन में इस मुद्दे पर सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए पूछा कि दमण और दीव में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत बने मकानों का क्या हाल है? उन्होंने मांग की कि इस योजना के तहत क्षेत्र में बनाए गए मकानों का पूरा ब्यौरा प्रस्तुत किया जाए। उन्होंने कहा, “पहले ही हमारे क्षेत्र में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मकानों की संख्या ना के बराबर है, और जो बने थे, उन्हें भी गिरा दिया गया। यह गरीबों के साथ धोखा और अन्याय है।”
गरीबों के घर गिराने वालों पर हो सख्त कार्रवाई
सांसद उमेशभाई पटेल ने सरकार से सीधा सवाल किया कि जिन अधिकारियों ने गरीबों के घर तोड़े, उनके खिलाफ अब तक क्या कार्रवाई की गई है? उन्होंने कहा कि दोषियों पर तुरंत सख्त कार्रवाई की जाए ताकि गरीबों को न्याय मिल सके।
गरीबों की आवाज बने सांसद
सांसद ने अपने बयान में कहा, “मैं सरकार से मांग करता हूं कि जो घर तोड़े गए हैं, उनके लिए जिम्मेदार अधिकारियों को सजा दी जाए और जिन गरीब परिवारों को बेघर किया गया है, उन्हें तुरंत नया मकान उपलब्ध कराया जाए। गरीबों के घर गिराकर उन्हें खुले आसमान के नीचे छोड़ देना अमानवीय है और इसे किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”
लोकसभा में गूंजा दमण-दीव का दर्द
श्री पटेल के इस मुद्दे को उठाने के बाद लोकसभा में सन्नाटा छा गया। उनके इस सवाल ने न केवल सरकार को कटघरे में खड़ा किया, बल्कि क्षेत्रीय प्रशासन की संवेदनहीनता को भी उजागर कर दिया।
“डेयर टू शेयर” करेगा हर आवाज बुलंद
“डेयर टू शेयर” अखबार क्षेत्र के गरीबों की समस्याओं को उठाने और न्याय दिलाने की इस लड़ाई में कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है। हमारा उद्देश्य है कि हर गरीब परिवार को उसका अधिकार मिले और प्रशासनिक ज्यादतियों पर लगाम लगाई जाए।
“गरीब का दर्द हमारा दर्द है, और इस मुद्दे पर हमारी कलम तब तक चलेगी, जब तक न्याय नहीं मिलता।”