स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान के बाद 2 अगस्त 1954 को पुर्तगाली शासन से आजाद हुआ था दादरा नगर हवेली
आज दानह का 71वां मुक्ति दिवस मनाया गया
दादरा और नगर हवेली के बारे में
विपुल प्राकृतिक संपदा से संपन्न, दादरा एवं नगर हवेली मंत्रमुग्ध कर देने वाली सुंदरता की भूमि है। हरे-भरे जंगल, घुमावदार नदियाँ, अकल्पनीय समुद्र तट, कलकल बहते झरनों की मधुर ध्वनि, दूर-दूर तक फैली पर्वत श्रृंखलाएँ, विविध वनस्पतियों और जीवों का एक भव्य बहुरंगी परिदृश्य। शांत वातावरण और निस्तब्ध वनीय परिवेश के कारण, यह जिला उन लोगों के लिए एक स्वर्ग है जो एक शांतिपूर्ण छुट्टी की तलाश में रहते हैं।
अंग्रेजों को दूर रखने और मुगलों के खिलाफ पुर्तगालियों का समर्थन पाने के लिए, मराठों ने उनसे दोस्ती की और वर्ष 1779 में एक संधि पर हस्ताक्षर किए। इस ऐतिहासिक मित्रता संधि के अनुसार, मराठा-पेशवा इस बात पर सहमत थे कि मराठों द्वारा पूर्व में कब्जा किए गए “संताना” नामक एक युद्धपोत, जिसे काफी मिन्नतों के बावजूद पुर्तगालियों को वापस नहीं किया गया था, के नुकसान की भरपाई के लिए पुर्तगालियों को दादरा एवं नगर हवेली से राजस्व एकत्रित करने की अनुमति दी जाएगी, जिसमें 72 गाँव शामिल थे, जिन्हें तब परगनाओं के रूप में जाना जाता था। इन प्रदेशों पर पहले कोली प्रमुखों का शासन था, जो जव्हार और रामनगर के हिंदू राजाओं से परास्त हुए थे। मराठों ने इन प्रदेशों पर विजय प्राप्त की और उन्हें अपने राज्य में मिला लिया। 491.00 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले दादरा नगर हवेली की भौगोलिक सीमा गुजरात में उत्तर और महाराष्ट्र में दक्षिण के मध्य आता है और 2 अगस्त 1954 को इसे यहां के लोगों द्वारा ही पुर्तगाली शासकों से मुक्त किया गया था। नए संघ प्रदेश दादरा एवं नगर हवेली तथा दमण एवं दीव के निर्माण के लिए 26 जनवरी 2020 को इस केंद्र शासित प्रदेश का पड़ोसी संघ प्रदेश दमण एवं दीव के साथ विलय कर दिया गया। दादरा एवं नगर हवेली का प्रदेश तब दादरा एवं नगर हवेली जिले के रूप में नए केंद्र शासित प्रदेश के तीन जिलों में से एक बन गया।
दादरा और नगर हवेली का इतिहास
पुर्तगालियों ने वर्ष 1783 और 1785 के बीच दादरा एवं नगर हवेली पर कब्जा कर लिया था और वर्ष 1954 में इसकी मुक्ति तक इस पर शासन किया। उनके शासनकाल में सरकार और उसके अधिकारियों की लोलुपता एवं भ्रष्टाचार तथा मुट्ठी भर साहूकारों (मनी लेन्डर्स) द्वारा स्थानीय आदिवासी समुदाय का शोषण और लोगों के कल्याण के प्रति उदासीनता दृष्टिगोचर होती थी। 2 अगस्त 1954 को गोवा के स्वयंसेवकों द्वारा स्थानीय निवासियों के घनिष्ठ सहयोग से लगभग 170 वर्षों के पुर्तगाली शासन का अंत किया गया था। इसकी मुक्ति के बाद, एक प्रशासक द्वारा उन्हें सभी प्रशासनिक मामलों पर सलाह देने के लिए एक सलाहकार के साथ क्षेत्र के प्रशासन को आगे बढ़ाया गया और जल्द ही वरिष्ठ पंचायत और समूह पंचायत के निर्माण के द्वारा स्थानीय लोगों को प्रशासन में शामिल करने के लिए कदम उठाए गए।
12 जून 1961 को, वरिष्ठ पंचायत ने सर्वसम्मति से भारतीय संघ के साथ एकीकरण का संकल्प पारित किया। दिनांक 11.08.1961 को संसद द्वारा पारित दादरा एवं नगर हवेली अधिनियम, 1961 (1961 की सं. 35) द्वारा यह प्रदेश राष्ट्रीय स्तर पर एक हो गया। इसके परिणामस्वरूप, मुक्त दादरा एवं नगर हवेली प्रशासन का स्थान प्रशासक दादरा एवं नगर हवेली की अगुवाई वाले एक औपचारिक वैधानिक प्रशासन द्वारा ले लिया गया, जिसमें एक ही जिले से 72 गाँव और एक वैधानिक कस्बा और 5 जनगणना शहर और एक तालुका केंद्र शासित प्रदेश के रूप में शामिल थे। 26 जनवरी, 2020 को दादरा एवं नगर हवेली तथा दमण एवं दीव के नए केंद्र शासित प्रदेश के गठन के लिए इस केंद्र शासित प्रदेश को अपने पड़ोसी संघ प्रदेश दमण एवं दीव के साथ मिला दिया गया। दादरा एवं नगर हवेली का क्षेत्र तब दादरा एवं नगर हवेली जिले के रूप में नए केंद्र शासित प्रदेश के तीन जिलों में से एक बन गया।
491.00 वर्ग किलोमीटर में फैले दादरा नगर हवेली 2 अगस्त 1954 को स्वतंत्रता सेनानियों ने पुर्तगाली शासकों से आजाद कराया था।
बता दें कि पुर्तगालियों ने वर्ष 1783 और 1785 के बीच दादरा एवं नगर हवेली पर कब्जा कर लिया था। उनके शासनकाल में सरकार और उसके अधिकारियों की लोलुपता एवं भ्रष्टाचार तथा मुट्ठी भर साहूकारों द्वारा स्थानीय आदिवासी समुदाय का शोषण और लोगों के कल्याण के प्रति उदासीनता दृष्टिगोचर होती थी। 2 अगस्त 1954 को गोवा के स्वयंसेवकों तथा स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान के बाद दादरा नगर हवेली को आखिरकार 2 अगस्त 1954 को आजादी मिल गई थी। यानि लगभग 170 वर्षों तक पुर्तगाली शासन रहा। दानह की आजादी के बाद एक प्रशासक द्वारा सभी प्रशासनिक मामलों पर सलाह देने के लिए एक सलाहकार के साथ क्षेत्र के प्रशासन को आगे बढ़ाया गया और जल्द ही वरिष्ठ पंचायत और समूह पंचायत के निर्माण के द्वारा स्थानीय लोगों को प्रशासन में शामिल करने के लिए कदम उठाए गए।
12 जून 1961 को वरिष्ठ पंचायत ने सर्वसम्मति से भारतीय संघ के साथ एकीकरण का संकल्प पारित किया। इसके परिणामस्वरूप दादरा एवं नगर हवेली प्रशासन का प्रशासक दादरा एवं नगर हवेली की अगुवाई वाले एक औपचारिक वैधानिक प्रशासन द्वारा ले लिया गया। 26 जनवरी 2020 को दादरा एवं नगर हवेली तथा दमण एवं दीव के नए केंद्र शासित प्रदेश के गठन के लिए इस केंद्र शासित प्रदेश को अपने पड़ोसी संघ प्रदेश दमण एवं दीव के साथ मिला दिया गया। दादरा एवं नगर हवेली का क्षेत्र तब दादरा एवं नगर हवेली जिले के रूप में नए केंद्र शासित प्रदेश के तीन जिलों में से एक बन गया। आज दादरा नगर हवेली का 71वां मुक्ति दिवस मनाया गया।