वापी और चला दमन को जोड़ने वाले अधूरे ब्रिज निर्माण से जनता और व्यापारियों में रोष, परियोजना अधर में लटकी

वापी, गुजरात: गुजरात के वापी और चला दमन क्षेत्र को जोड़ने वाला ब्रिज, जो लोगों के आवागमन और व्यापारिक गतिविधियों को सुगम बनाने के लिए शुरू किया गया था, अपनी निर्धारित समय सीमा के बावजूद अधूरा पड़ा है। यह ब्रिज, जिसे महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजना माना जा रहा था, अब अधूरा और सुस्त कार्यप्रणाली के कारण लोगों के लिए मुसीबत बन चुका है। इस देरी के चलते स्थानीय व्यापारियों, दुकानदारों और आम जनता को भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, और राज्य सरकार की चुप्पी इस मुद्दे को और गहराई दे रही है।

वित्त मंत्री का क्षेत्र फिर भी परियोजना अधर में
गुजरात के वित्त मंत्री कनु भाई देसाई, जो स्वयं वापी क्षेत्र के निवासी हैं, उनके गृह क्षेत्र में ऐसी स्थिति देखना नागरिकों के लिए निराशाजनक है। कई बार राज्य के मंत्रालय और परियोजना से जुड़े अधिकारियों से सवाल पूछे गए हैं, लेकिन स्थिति स्पष्ट करने की बजाय केवल यही बयान मिलता है कि “काम जल्द ही पूरा होगा।” इससे जनता में नाराजगी और गहरी हो गई है, क्योंकि बार-बार आश्वासन मिलने के बावजूद कोई ठोस कार्यवाही या जवाबदेही नजर नहीं आ रही।

स्थानीय व्यापारियों पर बुरा असर
इस अधूरे ब्रिज का सबसे गहरा प्रभाव स्थानीय व्यापार और व्यावसायिक गतिविधियों पर पड़ा है। चला, दमन और आसपास के क्षेत्रों से वापी चार रास्ता पर आने वाले लोग, जो यहां विभिन्न जरूरतों की वस्तुएं खरीदते थे, अब वैकल्पिक मार्गों की तलाश में हैं। ट्रैफिक जाम और असुविधाजनक आवागमन के चलते पहले के खरीदार अब बाजार में कम दिखते हैं, जिससे व्यापारियों की बिक्री पर सीधा प्रभाव पड़ा है।
बारिश के दौरान स्थिति और गंभीर हो जाती है। कई बार भारी वर्षा के कारण पानी भर जाता है, जिससे आवागमन पूरी तरह से ठप हो जाता है। इस दौरान चला और वापी के बीच आने-जाने वाले लोग गहरे जाम में फंसे रहते हैं या लंबी दूरी से घूमकर आने को मजबूर होते हैं। इससे व्यापार में मंदी और असुविधा का सामना करना पड़ता है। ट्रैफिक में फंसने से लोग जल्दी पहुंचने के लिए ऑनलाइन शॉपिंग की ओर रुख कर रहे हैं, जो स्थानीय दुकानदारों के व्यवसाय पर गहरा असर डाल रहा है। कई छोटे व्यापारी और दूकानदार, जिनकी कमाई पूरी तरह से स्थानीय खरीदारों पर निर्भर है, इस स्थिति में असमर्थ और निराश हो चुके हैं।

नागरिकों की समस्याएँ और असंतोष
इस अधूरे ब्रिज के कारण न केवल व्यापारियों बल्कि आम नागरिकों की भी कठिनाइयाँ बढ़ गई हैं। दमन, चला और वापी के निवासी इस ब्रिज की कमी के कारण लंबे समय से असुविधाओं का सामना कर रहे हैं।
चला और वापी के बीच पहले एक सुरक्षित और सुविधाजनक ब्रिज होने से लोग अपनी निजी और व्यावसायिक गतिविधियों को आसानी से अंजाम देते थे। लेकिन अधूरे कार्य के चलते अब लोग जाम, असुविधा और यात्रा में लगने वाले अतिरिक्त समय से परेशान हैं। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि राज्य सरकार को जल्द से जल्द इस ब्रिज के निर्माण कार्य को पूरा कराना चाहिए ताकि आवागमन की असुविधा खत्म हो सके और व्यापार में सुधार आए।
जनता में इस बात का रोष है कि ब्रिज निर्माण के बीच में काम रुकना राज्य की जिम्मेदारी को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। लोगों का कहना है कि सरकार को इस अधूरी परियोजना को प्राथमिकता देनी चाहिए, लेकिन वर्तमान में इसे लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं।

राजनीतिक उदासीनता और परियोजना के भविष्य पर सवाल
राज्य के वित्त मंत्री कनु भाई देसाई, जिनका घर भी वापी में है, उनके द्वारा इस परियोजना में हो रही देरी पर कोई ठोस बयान न आने से जनता में निराशा है। लोगों का मानना है कि यदि उनके अपने क्षेत्र में इस प्रकार की उदासीनता हो रही है, तो यह सरकार की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाता है।
आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, इस परियोजना की देरी के पीछे विभिन्न प्रशासनिक और तकनीकी कारण बताए जा रहे हैं। परन्तु यह सवाल बरकरार है कि आखिर वह कौन सी समस्या है जो इतनी महत्वपूर्ण परियोजना को समय सीमा से बाहर ले जा रही है? लोगों का यह भी कहना है कि इस परियोजना की देरी से उनके क्षेत्र का विकास और सुविधाएँ प्रभावित हो रही हैं। अब यह देखना होगा कि राज्य सरकार इस समस्या को कब और कैसे हल करेगी।

नागरिकों की उम्मीदें और माँगें
आम जनता और व्यापारियों की ओर से यह अपील की जा रही है कि राज्य सरकार इस परियोजना को जल्दी से जल्दी पूरा करे। सभी की उम्मीदें अब इस बात पर टिकी हैं कि सरकार और संबंधित विभाग इस अधूरी परियोजना की जल्द समाप्ति के लिए ठोस कदम उठाएँ।
इस अधूरे ब्रिज के कारण जो असुविधाएँ और समस्याएँ पैदा हो रही हैं, उन्हें देखते हुए यह परियोजना एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुकी है। नागरिकों की माँग है कि उनकी समस्याओं को समझते हुए सरकार इस परियोजना पर ध्यान दे और इसे निर्धारित समय सीमा में पूरा करवाए, ताकि क्षेत्र में विकास और सुविधाएँ फिर से बहाल हो सकें।

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