जयपुर, 28 नवंबर 2024
रिपोर्ट: डेयर टू शेयर
राजस्थान के अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। हिंदू सेना ने दावा किया है कि ऐतिहासिक दरगाह परिसर में शिव मंदिर स्थित है। इस मुद्दे को लेकर उन्होंने अदालत का दरवाजा खटखटाया है। अदालत ने इस याचिका को सुनवाई योग्य मानते हुए 20 दिसंबर की तारीख तय की है।
क्या है मामला?
हिंदू सेना का कहना है कि दरगाह परिसर में वर्षों पुराना शिव मंदिर मौजूद है, जिसे पहचानने और पुनर्स्थापित करने की आवश्यकता है। उन्होंने दावा किया कि ऐतिहासिक तथ्यों और पुरातात्विक सबूतों के आधार पर दरगाह का वास्तविक स्वरूप एक हिंदू मंदिर का था।
कोर्ट का फैसला और अगली सुनवाई
जयपुर हाईकोर्ट ने इस याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करते हुए संबंधित पक्षों से मामले पर जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट की अगली सुनवाई अब 20 दिसंबर को होगी।
सियासी और धार्मिक संगठनों की प्रतिक्रियाएं
इस मुद्दे पर सियासत गर्म हो गई है। विपक्षी दलों ने इसे एक “सांप्रदायिक एजेंडा” करार दिया है, जबकि अजमेर दरगाह के मौजूदा प्रशासन ने हिंदू सेना की मंशा पर सवाल खड़े किए हैं। दरगाह कमेटी के प्रवक्ता ने कहा, “यह दावा केवल धार्मिक विवाद को हवा देने के लिए किया गया है। दरगाह सदियों से देश में धार्मिक सौहार्द का प्रतीक रही है।”
समाज में बढ़ते विवाद पर चिंता
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मुद्दे सांप्रदायिक तनाव को बढ़ावा देते हैं और समाज को बांटने का काम करते हैं। विपक्षी नेताओं ने सरकार से अपील की है कि वह इस विवाद पर हस्तक्षेप करे और शांति बनाए रखे।
आगे की राह
अब सबकी निगाहें 20 दिसंबर को कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं। क्या इस विवाद को सुलझाने का रास्ता निकलेगा, या यह मामला और तूल पकड़ेगा?
(अजमेर से विशेष रिपोर्ट के साथ, डेयर टू शेयर)