गुजरात में नकली ऑस्ट्रेलियन डॉलर छापने का भंडाफोड़: कर्ज में डूबे ऑस्ट्रेलियाई नागरिक ने रची साजिश, एसओजी ने पकड़ी फर्जी फैक्ट्री

अहमदाबाद, 28: अहमदाबाद में नकली करेंसी बनाने के कई रैकेट पहले भी सामने आए हैं, लेकिन पहली बार विदेशी मुद्रा छापने के गोरखधंधे का खुलासा हुआ है। गुजरात के गांधीनगर में एक ऑस्ट्रेलियाई नागरिक ने अपने कर्ज से छुटकारा पाने के लिए गांधीनगर स्थित फैक्ट्री में नकली ऑस्ट्रेलियन डॉलर छापने की साजिश रची। साजिश के तहत तैयार ये नकली नोट बाजार में उतारने से पहले ही एसओजी (स्पेशल ऑपरेशंस ग्रुप) ने आरोपियों को गिरफ्तार कर दिया।

40 रुपये में बेचना था 55 रुपये का नकली डॉलर
यह मामला तब उजागर हुआ, जब अहमदाबाद के वेजलपुर इलाके में जलतरंग बस स्टैंड के पास एक हेयर सैलून पर रौनक राठौड़ नाम का युवक बाल कटवाने आया। हेयरकट के दौरान उसने सैलून मालिक राकेश परमार को बताया कि उसके पास 6 हजार ऑस्ट्रेलियन डॉलर हैं, जिन्हें वह भारतीय मुद्रा के अनुसार 40 रुपये प्रति डॉलर की दर से बेचना चाहता है, जबकि उनकी असली कीमत 55 रुपये है।

राकेश को रौनक की बातों पर शक हुआ। उसने डॉलर देखने की इच्छा जताई और इस जानकारी को अपने दोस्त के साथ साझा किया। राकेश के दोस्त ने एसओजी को इसकी सूचना दी।

पुलिस हिरासत में चारो आरोपी। - Dainik Bhaskar

एसओजी ने रचाया जाल, हुआ बड़ा खुलासा
एसओजी टीम ने तुरंत सैलून पर पहुंचकर रौनक का इंतजार शुरू कर दिया। कुछ समय बाद रौनक सैलून पहुंचा और जैसे ही उसने नकली ऑस्ट्रेलियन डॉलर निकाले, एसओजी ने उसे हिरासत में ले लिया। पूछताछ में रौनक ने खुलासा किया कि उसके दोस्त खुश पटेल के पास एक लाख ऑस्ट्रेलियन डॉलर हैं।

गांधीनगर में प्रिंट हो रहे थे नकली डॉलर
एसओजी ने रौनक से मिली जानकारी के आधार पर खुश पटेल को गिरफ्तार किया। पूछताछ में खुश ने बताया कि गांधीनगर में मौलिक पटेल नामक शख्स ने उसे ये नकली डॉलर सप्लाई किए हैं। मौलिक ने नकली नोट छापने के लिए वटवा में एक फैक्ट्री बना रखी थी।

आस्ट्रेलियन 50 डॉलर की करंसी।

फैक्ट्री पर छापेमारी में मौलिक पटेल और उसके साथी ध्रुव देसाई को गिरफ्तार किया गया। मौके से नकली डॉलर प्रिंट करने की मशीन और अन्य सामान बरामद हुआ।

कर्ज से परेशान होकर बना ठग
मूल रूप से गुजरात के रहने वाले मौलिक पटेल अब ऑस्ट्रेलियाई नागरिक हैं। कारोबार में भारी नुकसान और कर्ज से परेशान होकर उसने नकली डॉलर छापने का काम शुरू किया। उसने अपने दोस्त ध्रुव देसाई के साथ मिलकर गांधीनगर से प्रिंटिंग मशीन खरीदी और नकली डॉलर तैयार किए।

‘डेयर टू शेयर’ की विशेष रिपोर्ट:
यह घटना केवल आर्थिक अपराध का मामला नहीं, बल्कि भारत में विदेशी करेंसी की सुरक्षा पर बड़ा सवाल उठाती है। ‘डेयर टू शेयर’ की टीम प्रशासन से अपील करती है कि ऐसे गोरखधंधों पर सख्त कार्रवाई की जाए। नकली मुद्रा का कारोबार देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर करता है और समाज को अपराध की ओर धकेलता है।

– टीम ‘डेयर टू शेयर’

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