बलीठा शमसान गृह (घाट) के आस पास भंगारियो का अवैध कब्जा

वापी के बलीठा-सलवाव के पास केमिकल कचरे में लगी भीषण आग

शिकायती जनता को मिलता जबाव સાહેબ મિટિંગમાં છે.

भंगारिओ का सरकारी अधिकारियो को खुल्ले आम चुनौती ?

कल बलीठा सलवाव के पास खुली जगह में बने भंगार के गोडाउन में आग लग गई, जहा आग को काबू करने के लिए वापी नगरपालिका और नोटिफाइड की दमकल गाड़िया मौके पर पहुंची और आग को काबू किया गया, आग इतनी भयावक थी की जलने वाले कचरे से उठते धुएं को वापी के किसी भी कौने से देखा जा सकता था। आस पास रहवासियों से पता चलता है की खेती लायक जमीन के उपर केमिकल वाला कचरा डाल कर जमीन को बंजर बनाया जा रहा है, जिसे रोकना अनिवार्य है और इन भंगारियो पर अनेक नामचीन लोग का हाथ है।

वापी के अनेक स्थान और जीआईडीसी के आसपास के विस्तार में भंगार वालो की बाढ़ सी आ गई है, जो केमिकल कंपनियों से केमिकल वाला प्लास्टिक, ड्रम और दूसरा कचरा लाकर उसको साफ करके उससे निकलने वाले केमिकल को जमीन में खड्डा बनाकर गाढ़ देते है या फिर उसको जला देते है। क्या ? ये आग भी इसी तरह तो नही जलाई गई जांच का विषय है, केमिकल वाले कचरे को जलाकर पर्यावरण को प्रदूषित करके बिंदास्त हो चुके भंगारिओ का सरकारी अधिकारियो को खुल्ले आम चुनौती देना दिखाई दे रहा है।

जबकि इसी क्रम में हमारे संवादाता को रिपोर्ट मिली के बलीठा शमसान गृह के पास भी कुछ वेस्ट जलाया जा रहा है, जहा हमारे रिपोर्टर के जाने के बाद वस्तु स्थति ये थी कि शमसान गृह जाने वाला पूरा रोड़ पर मानो भंगारियो का कब्जा हो, चारो ओर कचरा ही कचरा था और शमशान गृह के पास कचरा जलाया भी जा रहा था, अब राम राज्य में भंगारिए खुश, क्युकी डिपार्टमेंट के पास समय नहीं है ना अधिकारी जनता से मिलते है एक जवाब मिलता है साहेब मीटिंग में है

इसी क्रम में वापी आज वायु प्रदुषण के मामले में पूरे देश भर में दूसरे और गुजरात राज्य में प्रथम स्थान प्राप्त करने में सफल रहा है, जिसका पूरा श्रेय केमिकल वेस्ट वाला कचरा जलाने वाले इन भंगार वालो को दिया जाता है, यह कचरा बिना किसी सरकारी नियमो का पालन किए बिना इन भंगार वालो को देने वाली केमिकल कंपनियो को, गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के प्रदूषण फैलाने में मदद करने वाले सक्षम अधिकारियो को, वापी औधोगिक क्षेत्र के साथ साथ भंगार वालो को छत्र छाया देने वाले वापी इंडस्ट्रीयल एसोसिएशन के पदाधिकारियों को और इनसे जुड़े सरकारी अधिकारियो को जाता है। अगर इसी तरह से बढ़ते प्रदूषण को नही रोका गया तो आने वाले दिनों में वापी और आसपास के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोगों की ज़िंदगी आधी रह जायेगी।

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