दीव की महिला कर्मचारी की दो जन्मतिथि के चर्चित मामले में 04 दिसम्बर 2023 दिया गया था नोटिस
दमन के किसी वरिष्ठ अधिकारी के दबाव पर महिला कर्मचारी को पुनः जॉइन कराया गया “सूत्र”
असंतुष्ट दीव कलेक्टर, अब खामोश ?
दीव जिले के सामुदायक स्वास्थ केंद्र घोघला में कार्यरत महिला कर्मचारी भानुबेन शांतिलाल मकवाना द्वारा 1994 में सरकारी नौकरी की भर्ती प्रक्रिया के दौरान जमा किए गए विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र (स्कूल लिविंग सेर्टिफिकेट) में जन्मतिथि अलग अंकित है जबकि उनके विभिन दस्तावेजों जैसे की उनके जन्म प्रमाणपत्र (बर्थ सेर्टिफिकेट), पैन कार्ड और इलैक्शन कार्ड में जन्मतिथि कुछ और ही प्रकाश में आई। भानुबेन शांतिलाल मकवाना की जन्मतिथि में विसंगति पाए जाने पर दीव कलेक्टर द्वारा दिनांक 04 दिसम्बर 2023 को कारण बताओ नोटिस (शॉ कॉज नोटिस) जारी कर उक्त महिला कर्मचारी लिखित जवाब मांगा की वो बताएं कि उनकी जन्मतिथि में विसंगति के कारणवर्ष उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही क्यों ना शुरू की जाए। हालांकि उक्त महिला कर्मचारी के दिनांक 18 दिसम्बर 2023 के लिखित जवाब से दीव कलेक्टर असंतुष्ट थीं और उन्होने उनके दिनांक 26 दिसम्बर 2023 के टिप्पणी (नोट) द्वारा उक्त महिला कर्मचारी को इस बाबत सूचित भी किया था। पर अब प्रश्न यह है कि उक्त महिला कर्मचारी के लिखित जवाब से असंतुष्ट होने के बावजूद उक्त महिला कर्मचारी के विरुद्ध कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है।
उक्त विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र (स्कूल लिविंग सेर्टिफिकेट) में उनकी जन्मतिथि 31 मई 1966 है तथा उनके विभिन दस्तावेजों जैसे की जन्म प्रमाणपत्र (बर्थ सर्टिफिकेट), पैन कार्ड और इलैक्शन कार्ड में उनकी जन्मतिथि 15 फ़रवरी 1957 है। उक्त विद्यालय परित्याग प्रमाणपत्र (स्कूल लिविंग सेर्टिफिकेट) के आधार पर उनकी सेवा पंजी (सर्विस बूक) में उनकी जन्मतिथि 31 मई 1966 रिकॉर्ड की गयी है।
ऐसी भी जानकारी मिली है कि 2020 में भानुबेन शांतिलाल मकवाना ने विभाग को एक एफिडेविट दिया था जिसमे उसने अपना सही जन्म वर्ष 1957 कबूल किया था। नवम्बर 2020 से भानुबेन शांतिलाल मकवाना अपनी ड्यूटी पर नहीं थीं परंतु सेटेम्बर 2023 में दमन के किसी वरिष्ठ अधिकारी के दबाव पर उसको पुनः जॉइन करा दिया गया था।
ऐसी भी जानकारी मिली है कि दिनांक 04 दिसम्बर 2023 को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस (शॉ कॉज़ नोटिस) के विरुद्ध उक्त महिला कर्मचारी ने राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, नई दिल्ली का दरवाज़ा भी खटखटाया था पर आयोग से उक्त कारण बताओ नोटिस (शॉ कॉज़ नोटिस) और आगे की किसी भी तरह की अनुशासनात्मक कार्यवाही पर रोक नहीं लगाई गई है।
अब देखना होगा की प्रशासन इस मामले को किस तरह से निपटाता है।